स्वतंत्र प्रान्तीय राज्य
जिस वक्त दिल्ली सल्तनत के सुल्तान देश के अधिकांश भाग पर शासन कर रहे थे उस समय भी कई स्वतंत्र राज्य देश के विभिन्न हिस्सों में विद्यमान थे। दिल्ली सल्तनत के कमजोर होने से कई दूसरे राज्य भी अस्तित्व में आ गए।
जौनपुर
जौनपुर की स्थापनाफिरोजशाह तुगलक ने अपने भाई जौना खा की स्मृति में की थी।
जौनपुर में स्वतंत्र शर्की राजवंश की स्थापना मलिक सरवर ख्वाजा जहान ने की थी।
ख्वाजा जहान को मलिक-उस-शर्क पूर्व का स्वामी की उपाधि 1394 ई में फिरोजशाह तुगलक के पुत्र सुल्तान महमूद ने दी थी।
जौनपुर के अन्य प्रमुख शासक थे – मुबारकशाह (1399-1402 ई) शम्सुद्दीन इब्राहिमशाह (1402-1436 ई) महमूदशाह (1436 – 1451 ई) और हुसैनशाह (1458 – 1500 ई)
लगभग 75 वर्ष तक स्वतंत्र रहने के बाद जौनपुर पर बहलोल लोदी ने कब्जा कर लिया।
शर्की शासन के अंतर्गत, विशेषकर इब्राहिमशाह के समय में, जौनपुर में साहित्य और स्थापत्यकला के क्षेत्र में हुए विकास के कारण जौनपुर को भारत के सीरज के नाम से जाना गया।
अटालादेवी की मस्जिद का निर्माण 1408 ई शर्की सुल्तान इब्राहिम शाह द्वारा किया गया था।
अटाला देवी मस्जिद का निर्माण कन्नौज के राजा विजयचन्द्र द्वारा निर्मित अटाला देवी के मन्दिर को तोड़कर किया गया था।
जामी मस्जिद का निर्माण 1470 ई में हुसैनशाह शर्की के द्वारा किया गया था।
झैझरी मस्जिद 1430 ई में इब्राहिम शर्की के द्वारा और लाल दरवाजा मस्जिद का निर्माण मुहम्मदशाह के द्वारा 1450 ई में किया गया था।
कश्मीर
सूहादेव नामक एक हिन्दू राज्य की स्थापना की थी।
1339 – 1340 ई कश्मीर में शाहमीर के द्वारा प्रथम मुस्लिम वंश की स्थापना की गई।
कश्मीर का प्रथम मुस्लिम शासक शाहमीर था, जो शम्सुद्दीन शाह मीर के नाम से गद्दी पर बैठा।
इसने अपनी राजधानी इंद्रकोट में स्थापित की।
अलाउद्दीन ने राजधानी इन्द्र्कोट से हटाकर अलाउद्दीन श्रीनगर में स्थापित की।
हिन्दू मन्दिरों और मूर्तियों को तोड़ने के कारण सुल्तान सिकन्दर को बुतशिकन कहा गया।
1420 ई में जैन-ऊल-आबदीन सिंहासन पर बैठा। इसकी धार्मिक सहिष्णुता के कारण इसे कश्मीर का अकबर कहा गया।
जैन-ऊल-आबदीन फ़ारसी, संस्कृत, कश्मीरी, तिब्बती आदि भाषाओँ का ज्ञाता था। इसने महाभारत और राजतरंगिणी को फारसी में अनुवाद करवाया।
1588 ई में अकबर ने कश्मीर को मुग़ल साम्राज्य में मिला लिया।
स्वतंत्र प्रान्तीय राज्य बंगाल
इख्तियारुद्दीन मुहम्मद बिन खिलजी ने बंगाल को दिल्ली सल्तनत में मिलाया।
गयासुद्दीन तुगलक ने बंगाल को तीन भागों में विभाजित किया। लखनौती (उत्तर बंगाल) सोनार गाँव (पूर्वी बंगाल) तथा सतगाँव दक्षिण बंगाल।
1345 ई में हाजी इलियास बंगाल के विभाजन को समाप्त कर शम्सुद्दीन इलियास शाह के नाम से बंगाल का शासक बना।
पांडुआ में अदीना मस्जिद का निर्माण 1364 ई में सुल्तान सिकंदर शाह ने करवाया था।
बंगाल का शासक गयासुद्दीन आजमशाह 1389 – 1409 ई अपनी न्यायप्रियता के लिए प्रसिद्ध था।
अलाउद्दीन हुसैन शाह 1493 – 1518 ई ने राजधानी को पांडुआ से गौड़ स्थानांतरित किया।
महाप्रभु चैतन्य अलाउद्दीन के समकालीन थे। अलाउद्दीन ने सत्यपीर नामक आन्दोलन की शुरुआत की।
मालाधर बसु ने अलाउद्दीन के शासनकाल में ही श्रीकृष्ण विजय की रचना कर गुणराजखान की उपाधि धारण की। इनके बेटे को सत्यराजखान की उपाधि दी गई।
नासिरुद्दीन नुसरत शाह ने गौड़ में बड़ा सोना और कदम रसूल मस्जिद का निर्माण करवाया।
स्वतंत्र प्रान्तीय राज्य – मालवा
दिलावर खाँने 1401 ई में मालवा को स्वतंत्र घोषित किया।
दिलावर का पुत्र अलप खाँ, हुशंगशाह की उपाधि धारण कर 1405 ई में मालवा का शासक बना, इसने अपनी राजधानी को धारा से मांडू स्थानांतरित किया।
मालवा में खिलजी वंश की स्थापना महमूद शाह ने की।
गुजरात के शासक बहादुरशाह ने महमूद शाह द्वितीय को युद्ध में परास्त कर उसकी हत्या कर दी और मालवा को गुजरात में मिला लिया।
मांडू के किले का निर्माण हुशंगशाह ने करवाया था। इस किले में सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। दिल्ली दरवाजा।
बाजबहादुर और रूपमती का महल का निर्माण सुल्तान नासिरुद्दीन शाह द्वारा करवाया गया था।
हिंडोला भवन या दरबार हाल का निर्माण हुशंगशाह के द्वारा करवाया गया था।
जहाजमहल का निर्माण गयासुद्दीन खिलजी ने मांडू में करवाया था।
कुशकमहल को महमूद खिलजी ने फतेहाबाद नामक स्थान पर बनवाया था।
स्वतंत्र प्रान्तीय राज्य गुजरात
गुजरात के शासक राजाकर्ण को पराजित कर अलाउद्दीन ने 1297 ई में इसे दिल्ली सल्तनत में मिला लिया था।
1391 ई में मुहम्मदशाह तुगलक द्वारा नियुक्त गुजरात का सूबेदार जफ़र खाँ ने 1401 ई में दिल्ली सल्तनत की अधीनता को त्याग दिया।
जफ़र खाँ सुल्तान मुजफ्फरशाह की उपाधि ग्रहण कर 1407 ई में गुजरात का स्वत्रंत सुल्तान बना।
गुजरात के प्रमुख शासक थे। अहमदशाह 1411-52, महमूदशाह बेगडा 1458-1511 ई और बहादुर शाह 1526-1537 ई।
अहमदशाह ने असावल के निकट साबरमती नदीके किनारे अहमदाबाद नामक नगर बसाया और पाटन से राजधानी हटाकर अहमदाबाद को राजधानी बनाया।
1572 ई में अकबर ने गुजरात को मुग़ल साम्राज्य में मिला लिया।
स्वतंत्र प्रान्तीय राज्य -मेवाड़
दिल्ली सल्तनत में मिला लिया।
गुहिलौत वंश की एक शाखा सिसोदिया वंश के हम्मीरदेव ने मुहम्मद तुगलक को हराकर पुरे मेवाड़ को स्वतंत्र करा लिया।
राणा कुम्भा ने 1488 ई में चित्तौड में एक विजय स्तम्भ की स्थापना की।
खानवा का युद्ध 1527 ई में राणा सांगा और बाबर के बीच हुआ। जिसमे बाबर विजयी हुआ।
1576 ई में हल्दीघाटी का युद्ध राणा प्रताप और अकबर के बीच हुआ, जिसमे अकबर विजयी हुआ।
मेवाड़ की राजधानी चित्तौडगढ़ थी। जहाँगीर ने मेवाड़ को मुग़ल साम्राज्य में मिला लिया।
स्वतंत्र प्रान्तीय राज्य – खानदेश
तुगलक वंश के पतन के समय फिरोजशाह तुगलक के सूबेदार मलिक अहमद राजा फारुकी ने नर्मदा और ताप्ती नदियों के बीच 1382 ई में खान देश की स्थापना की।
खान देश की राजधानी बुरहानपुर थी। इसका सैनिक मुख्यालय असीरगढ़ था।
1601 ई में अकबर ने खानदेश को मुग़ल साम्राज्य में मिला लिया।
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