Biology questions in hindi
101 सामान्य स्त्री एवं वर्णांध पुरूष की पुत्रियां वाहक होती हैं।
102 वर्णांध पुरूष व सामान्य स्त्री की सभी संतानें सामान्य होती हैं | किंतु लडकियां इसका वाहक होती हैं |
103 वाहक स्त्री व सामान्य पुरूष की संतानों मे सभी लडकियां सामान्य दृष्टि वाली होती हैं किंतु इनके पुत्रों में से आधे सामान्य और आधे वर्णांध होते हैं |
104 वाहक स्त्री व वर्णांध पुरूष के 50 प्रतिशत लडके व लडकियां सामान्य होते हैं और बाकी 50 प्रतिशत वर्णांध होते हैं |
105 वर्णांध स्त्री तथा सामान्य पुरूष की सभी लडकियां वाहक तथा लडके सभी वर्णांध होते हैं |
102 वर्णांध पुरूष व सामान्य स्त्री की सभी संतानें सामान्य होती हैं | किंतु लडकियां इसका वाहक होती हैं |
103 वाहक स्त्री व सामान्य पुरूष की संतानों मे सभी लडकियां सामान्य दृष्टि वाली होती हैं किंतु इनके पुत्रों में से आधे सामान्य और आधे वर्णांध होते हैं |
104 वाहक स्त्री व वर्णांध पुरूष के 50 प्रतिशत लडके व लडकियां सामान्य होते हैं और बाकी 50 प्रतिशत वर्णांध होते हैं |
105 वर्णांध स्त्री तथा सामान्य पुरूष की सभी लडकियां वाहक तथा लडके सभी वर्णांध होते हैं |
106 जैव विकास के सिद्धांतों में लैमार्क का सिद्धांत, डार्विन का सिद्धांत तथा उत्परिवर्तन का सिद्धांत प्रमुख हैं |
107 लैमार्क का सिद्धांत, जे.बी.डी.लैमार्क ने अपनी पुस्तक Philosophic Zoologique में प्रस्तुत कर बताया कि किसी भी जीव के विकास में वातावरण का प्रभाव, अंगों का उपयोग और अनुप्रयोग तथा उपार्जित लक्षणों की वंशागति का प्रभाव पडता है | इसे उपार्जित लक्षणों की वंशागति का सिद्धांत भी कहते हैं |
108 डार्विन वाद को चार्ल्स डार्विन ने प्रस्तुत किया | अपनी पुस्तक Origin of Species by Natural Selection में निम्न बिंदु प्रस्तुत किया- अत्यधिक संतान उत्पत्ति, जीवन संघर्ष, विभिन्नताएं तथा आनुवंशिकता, योग्यतम की उत्तरजीविता, वातावरण के प्रति अनुकुलन तथा नई जातियों की उत्पत्ति |
109 डार्विन वाद को प्रकृति-वरण का सिद्धांत भी कहते हैं |
110 ह्यूगो डी ब्रीज ने उत्परिवर्तन के सिद्धांत को प्रस्तुत किया | जीव जंतुओं में अचानक उत्पन्न होने वाले लक्षण उत्परिवर्तन कहलाते हैं |
111 पुरानी जातियों से जीन परिवर्तन के कारण नयी जातियों की उत्पत्ति को नव डार्विन वाद कहते हैं |
112 त्वचा मानव शरीर का सबसे बडा अंग है |
113 मेलेनिन नामक काले रंग का पदार्थ त्वचा को उसका रंग देता है तथा सूर्य के पराबैगनी किरणों को अवशोशित करके शरीर की रक्षा करता है
114 त्वचा संवेदांग का भी काम करता है |
115 त्वचा शरीर का बाह्यतम आवरण है |
116 मनुष्य मे दुग्ध ग्रंथि ‘स्वेद ग्रंथि’ की रूपांतरित रचना है |
117 जीव कोशिका मे खाद्य (ग्लूकोस) का आक्सीजन की सहायता से आक्सीकरण होता है, इससे कार्बन डाई आक्साइड उत्पन्न होती है तथा ग्लूकोस से ऊर्जा मुक्त होती है।
118 वायुमण्डल के वायु के फेफडे में पहुंचने तथा अशुद्ध वायु के फेफडे से बाहर निकलने की क्रिया को श्वासोच्छवास क्रिया कहते हैं |
119 श्वासोच्छवास मे वायु का मार्ग नासाद्वार - ग्रसनी – कण्ठ – श्वास नली – श्वसनिकाएं – कूपिकाएं होती हैं |
120 मनुष्य मे श्वसन लेने की दर 18 बार प्रति मिनट होती है।
121 वृषण मे टेस्टो-स्टीरोन तथा एण्ड्रो-स्टीरोन हार्मोन की उत्पत्ति के कारण ही नर में दाढी-मूछ का विकास, स्वभाव मे अंतर, नर जननांगों का विकास आदि लक्षण होते हैं |
122 अण्डाशयों द्वारा स्रावित एस्ट्रोजन हार्मोन के कारण स्त्री मे मासिक चक्र तथा स्तन ग्रंथियों के विकास मे सहायता मिलती है |
123 अण्डाशयों मे ही प्रोजैस्टीरोन नामक हार्मोन की उत्पत्ति के कारण स्तनों की वृद्धि, गर्भाशय की रचना आदि का विकास होता है |
124 पीयूष या पिट्यूटरी ग्रंथि को मास्टर ग्रंथि कहते हैं | पिट्यूटरी ग्रंथि मस्तिष्क मे होती है |
125 केचुआ, हाइड्रा, तथा जोक मे एक ही जीव नर तथा मादा दोनों युग्मकों को उत्पन्न करता है | ऐसे जीवों को उभयलिंगी या द्विलिंगी कहते हैं
127 श्वसन मे बाहर निकली वायु मे आक्सीजन की मात्रा 17 प्रतिशत तथा कार्बन डाई आक्साइड की मात्रा 4 प्रतिशत होती है |
128 प्रकाश संश्लेषण में उत्पन्न होने वाली आक्सीजन जल से निकलती है |
129 पौधों मे श्वसन की क्रिया दिन व रात दोनों मे होती है |
130 प्रकाश संश्लेषण के द्वारा पौधे जो प्रथम खाद्य पदार्थ बनाते हैं वह शर्करा होता है |
131 रसारोहण द्वारा अवशोषित जल तथा खनिज लवण पत्तियों तक पहुंचते हैं |
132 निषेचन के बाद अण्डाशय फल मे बदल जाता है |
133 मानव शरीर मे मांसपेशियों की संख्या 639 होती है |
134 मानव शरीर की सबसे बडी मांसपेशी कुल्हा की मांसपेशी है |
135 मानव शरीर की सबसे छोटी मांसपेशी स्टैपिडियस है |
136 शरीर मे भोजन का पाचन मुख से प्रारम्भ होता है |
137 पचे हुए भोजन का अवशोषण छोटी आंत मे होता है |
138 भोजन के पाकाशय मे पहुंचते ही सबसे पहले इसमे यकृत से निकलने वाला पित्त रस आकर मिलता है |
139 पित्त रस क्षारीय होता है, यह रस हरा-पीला होता है | यह भोजन को अम्लीय से क्षारीय बना देता है |
140 यकृत की कोशिकाओं से पित्त रस का स्रावण होता है तथा पित्ताशय में एकत्रित होता है |
141 मानव शरीर की सबसे बडी ग्रंथि यकृत (Liver) है |
142 मानव शरीर की सबसे छोटी ग्रंथि पिट्यूटरी ग्रंथि (मास्टर ग्रंथि) है |
143 शरीर के ताप को हाइपो-थैलम ग्रंथि नियंत्रित करती है |
144 फाइब्रिनोजेन नामक प्रोटीन का उत्पादन यकृत से ही होता है; जो रक्त का थक्का बनने मे मदद करता है |
145 हिपैरीन नामक प्रोटीन का उत्पादन यकृत के द्वारा होता है, जो शरीर के अंदर रक्त को जमने से रोकता है |
146 मृत RBC को नष्ट करने का कार्य यकृत द्वारा किया जाता है |
147 भोजन मे जहर दे कर मारे गये व्यक्ति की मृत्यु के कारणों की जांच मे यकृत एक महत्वपूर्ण सुराख होता है |
148 पित्त भोजन के साथ आये हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करता है |
149 यकृत यूरिया निर्माण मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है | यकृत एक उत्सर्जी अंग है |
150 यकृत मे विटामिन ए का संग्रह होता है |
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107 लैमार्क का सिद्धांत, जे.बी.डी.लैमार्क ने अपनी पुस्तक Philosophic Zoologique में प्रस्तुत कर बताया कि किसी भी जीव के विकास में वातावरण का प्रभाव, अंगों का उपयोग और अनुप्रयोग तथा उपार्जित लक्षणों की वंशागति का प्रभाव पडता है | इसे उपार्जित लक्षणों की वंशागति का सिद्धांत भी कहते हैं |
108 डार्विन वाद को चार्ल्स डार्विन ने प्रस्तुत किया | अपनी पुस्तक Origin of Species by Natural Selection में निम्न बिंदु प्रस्तुत किया- अत्यधिक संतान उत्पत्ति, जीवन संघर्ष, विभिन्नताएं तथा आनुवंशिकता, योग्यतम की उत्तरजीविता, वातावरण के प्रति अनुकुलन तथा नई जातियों की उत्पत्ति |
109 डार्विन वाद को प्रकृति-वरण का सिद्धांत भी कहते हैं |
110 ह्यूगो डी ब्रीज ने उत्परिवर्तन के सिद्धांत को प्रस्तुत किया | जीव जंतुओं में अचानक उत्पन्न होने वाले लक्षण उत्परिवर्तन कहलाते हैं |
111 पुरानी जातियों से जीन परिवर्तन के कारण नयी जातियों की उत्पत्ति को नव डार्विन वाद कहते हैं |
112 त्वचा मानव शरीर का सबसे बडा अंग है |
113 मेलेनिन नामक काले रंग का पदार्थ त्वचा को उसका रंग देता है तथा सूर्य के पराबैगनी किरणों को अवशोशित करके शरीर की रक्षा करता है
114 त्वचा संवेदांग का भी काम करता है |
115 त्वचा शरीर का बाह्यतम आवरण है |
116 मनुष्य मे दुग्ध ग्रंथि ‘स्वेद ग्रंथि’ की रूपांतरित रचना है |
117 जीव कोशिका मे खाद्य (ग्लूकोस) का आक्सीजन की सहायता से आक्सीकरण होता है, इससे कार्बन डाई आक्साइड उत्पन्न होती है तथा ग्लूकोस से ऊर्जा मुक्त होती है।
118 वायुमण्डल के वायु के फेफडे में पहुंचने तथा अशुद्ध वायु के फेफडे से बाहर निकलने की क्रिया को श्वासोच्छवास क्रिया कहते हैं |
119 श्वासोच्छवास मे वायु का मार्ग नासाद्वार - ग्रसनी – कण्ठ – श्वास नली – श्वसनिकाएं – कूपिकाएं होती हैं |
120 मनुष्य मे श्वसन लेने की दर 18 बार प्रति मिनट होती है।
121 वृषण मे टेस्टो-स्टीरोन तथा एण्ड्रो-स्टीरोन हार्मोन की उत्पत्ति के कारण ही नर में दाढी-मूछ का विकास, स्वभाव मे अंतर, नर जननांगों का विकास आदि लक्षण होते हैं |
122 अण्डाशयों द्वारा स्रावित एस्ट्रोजन हार्मोन के कारण स्त्री मे मासिक चक्र तथा स्तन ग्रंथियों के विकास मे सहायता मिलती है |
123 अण्डाशयों मे ही प्रोजैस्टीरोन नामक हार्मोन की उत्पत्ति के कारण स्तनों की वृद्धि, गर्भाशय की रचना आदि का विकास होता है |
124 पीयूष या पिट्यूटरी ग्रंथि को मास्टर ग्रंथि कहते हैं | पिट्यूटरी ग्रंथि मस्तिष्क मे होती है |
125 केचुआ, हाइड्रा, तथा जोक मे एक ही जीव नर तथा मादा दोनों युग्मकों को उत्पन्न करता है | ऐसे जीवों को उभयलिंगी या द्विलिंगी कहते हैं
Biology questions in hindi {126 to 150}
126 जंतुओं मे युग्लीना स्वपोषी है | इसकी कोशिका में पर्णहरिम पाया जाता है | यह भी पौधों की भांति प्रकाश संश्लेषण द्वारा अपना भोजन स्वयं बनाता है |127 श्वसन मे बाहर निकली वायु मे आक्सीजन की मात्रा 17 प्रतिशत तथा कार्बन डाई आक्साइड की मात्रा 4 प्रतिशत होती है |
128 प्रकाश संश्लेषण में उत्पन्न होने वाली आक्सीजन जल से निकलती है |
129 पौधों मे श्वसन की क्रिया दिन व रात दोनों मे होती है |
130 प्रकाश संश्लेषण के द्वारा पौधे जो प्रथम खाद्य पदार्थ बनाते हैं वह शर्करा होता है |
131 रसारोहण द्वारा अवशोषित जल तथा खनिज लवण पत्तियों तक पहुंचते हैं |
132 निषेचन के बाद अण्डाशय फल मे बदल जाता है |
133 मानव शरीर मे मांसपेशियों की संख्या 639 होती है |
134 मानव शरीर की सबसे बडी मांसपेशी कुल्हा की मांसपेशी है |
135 मानव शरीर की सबसे छोटी मांसपेशी स्टैपिडियस है |
136 शरीर मे भोजन का पाचन मुख से प्रारम्भ होता है |
137 पचे हुए भोजन का अवशोषण छोटी आंत मे होता है |
138 भोजन के पाकाशय मे पहुंचते ही सबसे पहले इसमे यकृत से निकलने वाला पित्त रस आकर मिलता है |
139 पित्त रस क्षारीय होता है, यह रस हरा-पीला होता है | यह भोजन को अम्लीय से क्षारीय बना देता है |
140 यकृत की कोशिकाओं से पित्त रस का स्रावण होता है तथा पित्ताशय में एकत्रित होता है |
141 मानव शरीर की सबसे बडी ग्रंथि यकृत (Liver) है |
142 मानव शरीर की सबसे छोटी ग्रंथि पिट्यूटरी ग्रंथि (मास्टर ग्रंथि) है |
143 शरीर के ताप को हाइपो-थैलम ग्रंथि नियंत्रित करती है |
144 फाइब्रिनोजेन नामक प्रोटीन का उत्पादन यकृत से ही होता है; जो रक्त का थक्का बनने मे मदद करता है |
145 हिपैरीन नामक प्रोटीन का उत्पादन यकृत के द्वारा होता है, जो शरीर के अंदर रक्त को जमने से रोकता है |
146 मृत RBC को नष्ट करने का कार्य यकृत द्वारा किया जाता है |
147 भोजन मे जहर दे कर मारे गये व्यक्ति की मृत्यु के कारणों की जांच मे यकृत एक महत्वपूर्ण सुराख होता है |
148 पित्त भोजन के साथ आये हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करता है |
149 यकृत यूरिया निर्माण मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है | यकृत एक उत्सर्जी अंग है |
150 यकृत मे विटामिन ए का संग्रह होता है |
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