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क्या भूत सच में होते हैं (do ghosts really exist)

क्या भूत सच में होते हैं (do ghosts really exist)

क्या भूत सच में होते हैं (do ghosts really exist)


भूत प्रेतों की कहानियां तो आपने जरूर सुनी होगा पर क्या भूत प्रेतों का अस्तित्व सच में होता है।

जब भी आप रात के समय अंधेरे में होते हो तो क्या आपको ऐसा लगता है, कि आपको कोई देख रहा है।


आज मैं आपको एक साइंटिफिक वे में बताने जा रहा हूं कि भूत सच में होते हैं या नहीं।

क्या ये सच में होते हैं या फिर इसे हमारे दिमाग में क्रिएट किया।


मैं आपको बता देता हूं कि कई लोग कहेंगे कि यार ये सब बकवास है भूत प्रेत थोड़ी ना होते हैं तो उन लोगों मैं कहना चाहता हूं कि थोड़ा ओपन माइंडेड बनी है और जो मैं पूरी वीडियो में एक साइंटिफिक हुए में बताने जा रहा हूँ उसे ध्यान से पढ़िए।


पहले मैं आपको बताऊंगा कि पैरानॉर्मल इन्वेस्टिगेटर क्या मानते हैं और फिर यह बताऊंगा कि साइन्स क्या मानती है ताकि वो लोग जो भूतों पर यकीन करते हैं वह भी समझ सके और वो लोग भी समझ सके जो इन सब चीजों को नहीं मानते।


पहले हम बात करते हैं उन लोगों की जो लोग भूत प्रेतों को मानते हैं यानी पैरानॉर्मल इन्वेस्टिगेटर उनके हिसाब से भूत क्या होता है।

भूत मतलब मरे हुए इंसान की वो एनर्जी जो फिजिकल बॉडी खत्म होने के बाद भी इस दुनिया में रहती है और वह अपने प्रेजेंस को किसी पर छाई या फिर किसी अजीब बॉडी शेप में दिखाती है जो लोग भूतों में यकीन करते हैं उन लोगों के हिसाब से भूत उन लोगों की आत्माएं हैं जिनकी कोई बडी महत्वपूर्ण इच्छा या फिर कोई काम पूरा नहीं होता है मरने के बाद भी उनकी इच्छाएं अधूरी रहती है और इसी के चलते वो एकदम पूरी तरह से बेचैन हो जाते हैं और उन्हें तब तक मुक्ति नहीं मिलती है जब तक उनका इच्छा पूरा नहीं हो जाए वो उन जगहों पर अक्सर दिखते हैं जो उन्हें से जुडी होती है।


जैसे कोई घर या फिर कोई विशेष जगह कभी कभी तो ये किसी व्यक्ति के अंदर भी चली जाती है ऐसे हजारों नहीं लाखों घटनाएं हो चुकी है इस दुनिया में जिसमें हम सुनते हैं कि घोष में किसी इंसान को होल्ड कर दिया हॉलीवुड में घोष के ऊपर कई मूवीज बनाई गई और उनमें से कई इंटरटेनमेंट के लिए है।


और कई सच्ची घटना पर आधारित है। अगर आप हॉरर मूवी देखने के शौकीन हो तो आपने इन मूवीज को जरूर देखा होगा ड्यूरिंग फिल्म में जॉन में पोजिशन होती है वो सच्ची घटना पर आधारित थी।

इससे हमें यह पता चलता है कि कोई आत्मा किसी के भी अंदर आ सकती है।


सिर्फ इंसान में ही नहीं पैरानॉर्मल इन्वेस्टिगेटर का यह भी मानना है कि यह किसी वस्तु के अंदर भी जा सकती है। ढक्कन ड्यूरिंग मूवी में इस दौर को तो आपने जरूर देखा होगा जिसका नाम है बिना मूवी में तो यह आपको ऐसी दिखती था पर असल में ये ऐसी दिखती है। 


भूतों को लेकर एक और मान्यता यह है कि अगर कोई आत्मा को आपसे बात करना है तो वो आपके सामने आकर भी बात कर सकते हैं पैरानॉर्मल इन्वेस्टिगेटर के हिसाब से भूत प्रेतों को टाइम इस समय का कोई ज्ञान नहीं होता है पर क्या आपने कभी सोचा है कि आत्माओं की घटनाएं अक्सर रात में ही क्यों होती है

यह रात में ही क्यों दिखाई देती है।


इसका कैंसर यह नहीं है कि किसी मूवी की सीन जैसी डरावना बनने के लिए वो रात में आती है यह तो एक पिक्सेल वाली बात हो गई रियल वर्ल्ड में पैरानॉर्मल इन्वेस्टिगेटर के हिसाब से वो रात के समय इसलिए आते हैं क्योंकि उस समय ज्यादा शांति होती है।

और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक डिस्टरबेंस भी कम होती है।


इन्वेस्टिगेटर के हिसाब से भूतों को उनकी प्रेजेंस को बरकरार रखने के लिए एनर्जी यानी ऊर्जा की जरूरत पड़ती है और यह अक्सर सुना जाता है कि इलेक्ट्रोमैग्नेटिक डिवाइसेस यानी उपकरण उनकी एनर्जी को डिस्टर्ब कर देती है और दिन के समय यह

इनसे ज्यादा होती है पर रात के समय कम होती है और इसी के चलते घोस्ट राइटिंग ज्यादातर रात में ही होती अगर स्पिरिचुअल ईटी की मानें तो इसके हिसाब से आत्माएं भूत और जैसी चीजें होती है पर उसके हिसाब से विज्ञान भूत प्रेतों को कभी नहीं कैच कर सकता

के हिसाब से ये विज्ञान की समझ से परे कुछ लोगों का मानना है कि आइंस्टाइन ने घोष का एक्सप्लेनेशन तब दे दिया था जब उन्होंने कहा था कि एनर्जी निर्भर दिशा बीएड फ्रॉम द यूनिवर्स मतलब ऊर्जा इस ब्रह्मांड से कहीं नहीं जाती बहुत लोगों का मानना है कि इस बात से हमें यह पता चलता है कि-

मरने के बाद किसी इंसान की आत्मा इस ब्रह्मांड में ही रहती विज्ञान और धर्म डायनेमिक्स के रूल भी हमें यही कहती है कि ऊर्जा न बन सकती है और ना ही मिट सकती है मैटर और एनर्जी कैन नॉट भी क्रिएटेड नोट एस्ट्रोनॉट ऊर्जा सिर्फ एक फॉर्म से दूसरे फॉर्म में बदल सकती है।


मेटल और मांस हमेशा कॉन्स्टेंट रहता है वह कभी भी चेंज नहीं होता इसका मतलब अगर कोई मरता है तो वह फिजिकली कभी नहीं मरता इस बात पर ध्यान दीजिएगा मैंने कहा आप पीसी के लिए उसकी बॉडी सिर्फ एक फॉर्म से दूसरे फॉर्म में बदल जाती है

ये सिर्फ अपना रूप बदलता है हमारे शरीर के मरने के बाद भी हमारे सराउंडिंग उस मैटर को अब जब कर लेती है।


अगर किसी मरे हुए व्यक्ति की बॉडी को किसी जंगल में दफ्न कर दिया जाए तो दी कंपोज होकर स्वयं में मिल जाएगी और वही बाद में जाकर एक भीड़ बढ़ेगी और वही पेट को जानवर खाएंगे और उन्हें एनर्जी प्राप्त होगी मेरे कहने का मतलब यह है कि आपकी बॉडी इस धरती को छोड़कर और कहीं नहीं जाती है हमने अपनी फिजिकल बॉडी की बात कर ली बराबर आत्मा की बात करें तो आखिर कहां जाती है जैसा कि मैंने आपको कहा विज्ञान का सबसे महत्वपूर्ण रोल यह कहता है कि एनर्जी कारण भी क्रेडिट नोट स्टेरॉयड आत्मा भी एक तरह की एलर्जी है तो अगर यह बात सही है तो इसका मतलब आत्मा कभी नहीं सकती है।


और इसका मतलब बॉडी दी कंपोज हो जाएगी और सारे न्यूट्रिएंट्स धरती की मिट्टी में मिल जायेगी पर जो आत्मा है वो सभाओ जिन्दा रहती है पर मैं आपको बता देता हूँ यह बस एक जोड़ी का कोई रूप में क्या आपने कभी नीयर एक्सपीरियंस के बारे में सुना है मेयर

एक्सपीरियंस किसी इंसान के लिए उसकी जिंदगी की सबसे अजीब एक्सपीरियंस इसमें से एक है इस दुनिया में कई लोगों का दावा है कि वह मर के भी वापस जिंदा हुए और खासकर इंडिया में ऐसा हजारों केसेस इनके हिसाब से बनने के बाद इन्हें अजीब तरह के लाइट्स दिखती है और यह वापस अपने शरीर में आ जाते हैं यह बिल्कुल मगर वापस आने जैसा होता है इसको हम नियर डेथ एक्सपीरियंस कहते हैं।


लोगों ने नियर देते एक्सपीरियंस में गेज

यानी बयान को भी देखने का दावा किया

नाम के एक साइड डिश थे जिन्होंने एक बड़ा ही कमाल का एक्सपेरिमेंट किया था उन्होंने एक बेसिन के मरने से पहले उनका वेदना और मरने के बाद नापा जब उन्होंने रिजल्ट्स को देखा तो उनको इक्कीस ग्राम का फर्क नजर आया मरने के कुछ सेकंड्स बाद शरीर का इक्कीस ग्राम वेट लॉस हो जाता।


इससे यह पता चलता है आत्मा का वजन एक ग्राम होता है और लोगों को लगा कि यह जोड़ी सही नहीं मरने के ठीक पहले बॉडी के कई मेटाबॉलिक प्लस के चलते वेट कम होता होगा जस्ट साइंटिफिक पर अजीब बात यह है कि एक दो नहीं जितनी बार इस एक्सपेरिमेंट को किया गया हर बार हर अलग अलग पेशेंट में इक्कीस ग्राम का भी कम हुआ यह सोचने की प्वाइंट मरे हुए इंसान का बॉडी का वेट जितना भी हो व्यक्ति व वे हर बार इक्कीस ग्राम ही कम हुआ और इसी के चलते ये ट्वेंटी वन ग्राम चोरी के नाम से भी फेमस हुआ।


और यह इस बात को भी प्रूफ करती है कि मरने के तुरंत बाद उस तो है जो शरीर को छोड़कर चला जाता है

जूनियर डेथ एक्सपीरियंस के बारे में मैंने आपको बताया उसकी बात करते हैं अब यह बात करते हैं कि विज्ञान की दुनिया के वो लोग जो आत्माओं पर यकीन नहीं करते हैं उनका क्या कहना है उनका यह कहना है कि मरने के पहले किसी भी इंसान के ब्रेन के अंदर जो एक्टिविटी होती है उसकी फ्रीक्वेंसी बहुत ज्यादा होने लगती।


और उसी के चलते लोगों को होली नेशन यानी भ्रम होता है जिसके चलते उन्हें लगता है कि उन्होंने लाइट्स को देख लिया और यही शायद नीयर डेथ एक्सपीरियंस है और सच क्या है और क्या झूठ कोई नहीं जानता अब बात करते हैं उस फीलिंग की जिसमें आपको लगता है कि कोई आपको देख रहा है कभी कभी आपको रात के वक्त ऐसा जरूर लगता होगा कि आपको कोई देख रहा है साइंटिफिक में हम इसे एसआईटी की स्टेयरिंग एफेक्ट कहते हैं अगर हॉन्टेड हाउस की बात करें तो आखिर ऐसा क्यों होता है कि घरों में ऐसे अजीब गरीब सेंसेशन होने लगती है जब भी कोई इंसान उसके अंदर जाता है पैरानॉर्मल इन्वेस्टिगेटर की मां ने जब भी कोई बहुत बुरी इमोशनल एक्सपीरियंस के साथ मरता है तो उसकी आत्मा घर के अंदर की चीजों जैसे पर रिचर्ड्स वॉल्स और सीढ़ियों में आप जॉब हो जाती है इसलिए अगर आपको हॉन्टेड जगह पर विजिट करोगे तो आपको बड़ा ही अजीब लगेगा और अजीब सी इमोशनल फीलिंग होगी ऐसा माना कि उस आत्मा के दर्द को आप एक्सपी कर रहे अब घोस्ट राइटिंग पर आते हैं।


इस दुनिया में हजारों लोगों का यह दावा है कि उन्होंने घोष को देखा है जो सो कॉल्ड भूत की फोटोज इंटरनेट पर पब्लिश की जाती है उसमें से ज्यादातर फ़ेक होती जाए अगर रिवर्स को फैलाने के लिए पोस्ट की जाती है और हम मुआवजा बोर्ड की बात को गलत नहीं ठहरा सकते हैं।


कन्क्लूजन यह निकलती है कि अगर साइंस की लॉस को मानें तो आत्माएं होती है पर साइंस की एक्सप्लेनेशन ग्रुप इनके एग्जिस्टेंस को नहीं मानती इनके हिसाब से यह दिमाग का भ्रम है और इनकी एग्जिस्टेंस को हम साइंटिफिकली प्रूफ भी नहीं कर सकते हैं पर पैरानॉर्मल इन्वेस्टिगेटर यह मानते हैं

कि ये सच में होते हैं और इसी के चलते दुनिया में इतने सारे पोजीशंस की घटनाएं होती हैं जिनमें आत्माएं किसी इंसान के अंदर चली जाती है।


 

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