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सरस्वती नदी विलुप्त क्यों हुई? इसकी उत्पत्ति, वैज्ञानिक कारण, और धार्मिक मान्यता (Why did Saraswati river become extinct? Its Origin, Scientific Reasons, and Religious Recognition)

 सरस्वती नदी विलुप्त क्यों हुई? इसकी उत्पत्ति, वैज्ञानिक कारण, और धार्मिक मान्यता (Why did Saraswati river become extinct? Its Origin, Scientific Reasons, and Religious Recognition)

सरस्वती नदी

सरस्वती नदी (Saraswati River) परिचय


यह भारत के उत्तराखण्ड राज्य में बहने वाली एक पवित्र नदी है। यह अलकनन्दा नदी की एक मुख्य उपनदी भी है, और यह माणा गाँव के समीप स्थित केशव प्रयाग में उस से संगम भी करती है। अलकनन्दा नदी स्वयं देवप्रयाग में भागीरथी नदी से संगम करती है और वहाँ इसे गंगा नदी के नाम से भी जाना जाता है।


महाभारत काल में सरस्वती नदी से संबंधी तथ्य


महाभारत काल में इसे वेदस्मृति, प्लक्षवती, वेदवती आदि नदियों के नाम से भी जाना जाता था। महाभारत काल में इस नदी को कुरुक्षेत्र के समीप बताया गया हैं जहाँ अब एक जलाशय स्थित हैं। इसी काल में यह कहा गया था कि सरस्वती नदी विलुप्त हो गई हैं एवम उस जगह का नाम विनाशक बताया गया। 


साथ ही इसके पीछे यह भी कथा हैं कि जब धरती पर अग्नि का वास हुआ तब सरस्वती धरती के भीतर पाताल में बहने लगी। यह कथा श्री कृष्ण ने अर्जुन को लाक्षया गृह के पहले सुनाई थी इसी कथा के स्मरण से अर्जुन को भान हुआ और उन्होंने भवन के जलने के बाद भूमि के नीचे सुरंग को तलाशा था। यह भी कहा जाता हैं कि सरस्वती नदी में इतना पानी था कि इसमें यात्रायें संभव थी । यह नदी द्वारिका एवम मथुरा को जोड़ती थी ।


वैज्ञानिक मान्यता


फ्रेंच के माइकल डैनिनो के अनुसार, सरस्वती एक बहुत बड़ी नदी थी जो कि संभवतः हड़प्पा संस्कृति के 4000 वर्ष पूर्व सुख गई थी अथवा गायब हो गई इसके पीछे भौगोलिक परिवर्तन का होना बताया गया हैं। ये कुल 5 पवित्र नदियों में से एक मानी जाती हैं जिनमे अन्य सिन्धु, ब्रह्मपुत्र, गंगा, यमुना एवम सरस्वती।


सरस्वती नदी विलुप्त क्यों हुई?


शास्त्रों की मानें तो सरस्वती नदी एक श्राप के कारण विलुप्त हो गयी और अब दिखाई नहीं देती है। वहीं एक और कथा के अनुसार इस नदी को प्राप्त एक वरदान के कारण यह विलुप्त होकर भी अस्तित्व में हैं।


उसी वरदान की वजह से प्रयाग में गंगा, यमुना और सरस्वती का मिलन माना जाता है, जबकि सरस्वती नदी कभी किसी को दिखाई नहीं देती है।


एक बार जब वेदव्यास सरस्वती नदी के तट पर भगवान गणेश को महाभारत की कथा सुना रहे थे। उस समय ऋषि ने नदी को धीरे बहने का अनुरोध किया ताकि वह पाठ पूरा कर सके।


शक्तिशाली सरस्वती नदी ने उनकी बात नहीं मानी और अपने तीव्र प्रवाह में बहती रही। नदी के इस व्यवहार से क्रोधित होकर, भगवान गणेश ने नदी को श्राप दिया कि वह एक दिन विलुप्त ही जाएगी।



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