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पुष्यमित्र शुंग और भारत के यवन राज्य | Pushyamitra Sunga and the Yavan States of India

 

पुष्यमित्र शुंग और भारत के यवन राज्य

पुष्यमित्र शुंग और भारत के यवन राज्य | Pushyamitra Sunga and the Yavan States of India

पुष्यमित्र शुंग

पुष्यमित्र शुंग यह एक ब्राह्मण था । उत्तर भारत के शुंग साम्राज्य के संस्थापक और प्रथम राजा था । इससे पहले वो मौर्य साम्राज्य में सेनापति था। 185 ई॰पूर्व में इसने अंतिम मौर्य सम्राट (बृहद्रथ) की रात में दरबार में अकेला बुलाया और उनकी पीठ पर छुरा घोपकर सम्राट बृहद्रथ की हत्या कर दी और अपने आपको राजा उद्घोषित किया। 


उसके बाद उन्होंने अश्वमेध यज्ञ किया था और उत्तर भारत का अधिकतर हिस्सा अपने अधिकार क्षेत्र में ले लिया था। शुंग राज्य के शिलालेख पंजाब के जालंधर में पुष्यमित्र का एक शिलालेख मिला हैं, और दिव्यावदान के अनुसार यह राज्य सांग्ला (वर्तमान - स्यालकोट) तक विस्तृत था।


महाभाष्य में पतंजलि और पाणिनी की अष्टाध्यायी के अनुसार पुष्यमित्र शुंग भारद्वाज गोत्र के ब्राह्मण थे। महाभारत के हरिवंश पर्व के अनुसार वो कश्यप गोत्र के ब्राह्मण थे।


पुष्यमित्र ने जो वैदिक धर्म की पताका फहराई उसी के आधार को सम्राट विक्रमादित्य व आगे चलकर गुप्त साम्राज्य ने इस धर्म के ज्ञान को पूरे विश्व में फैलाया। पुष्य मित्र सुंग ने समूचा बौद्ध धर्म का विनाश कर दिया उसके बाद जितने बौद्ध धर्म के अनु-वाई थे सबको मौत के घाट उतार दिया जितने बचे बौद्धिस्ट थे सबका धर्म परिवर्तन करवाया।

पुष्यमित्र का शासन प्रबन्ध

साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र थी। पुष्यमित्र प्राचीन मौर्य साम्राज्य के मध्यवर्ती भाग को सुरक्षित रख सकने में सफल रहा। पुष्यमित्र का साम्राज्य उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में बरार तक तथा पश्‍चिम में पंजाब से लेकर पूर्व में मगध तक फैला हुआ था। 


दिव्यावदान और तारा-नाथ के अनुसार जालंधर और स्यालकोट पर भी उसका अधिकार था। साम्राज्य के विभिन्न भागों में राजकुमार या राज-कुल के लोगो को राज्यपाल नियुक्त‍ करने की परंपरा चलती रही। पुष्यमित्र ने अपने पुत्रों को साम्राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में सह-शासक नियुक्‍त कर रखा था। 


और उसका पुत्र अग्निमित्र विदिशा का उप-राजा था। धनदेव कौशल का राज्यपाल था। राजकुमार जी सेना के संचालक भी थे। इस समय भी ग्राम शासन की सबसे छोटी इकाई होती थी।


इस काल तक आते-आते मौर्यकालीन केन्द्रीय नियंत्रण में शिथिलता आ गयी थी तथा सामंती-करण की प्रवृत्ति सक्रिय होने लगी थीं।


भारत के यवन राज्य

भारत पर आक्रमण करने वाले विदेशी आक्रमणकारियों का क्रम है- हिंदयूनानी>शक >पहलव >कुषाण ।

सेल्यूकस के द्वारा स्थापित पश्चिमी तथा मध्य एशिया की विशाल साम्राज्य को उसके उत्तराधिकारी एंटीऑक्स प्रथम ने अक्षुण्ण बनाए रखा।


एण्टियोकस द्वितीय के शासनकाल में विद्रोह के फलस्वरूप उसके अनेक प्रांत स्वतंत्र हो गए।

भारत पर सबसे पहले आक्रमण बैक्ट्रिया के शासक डेमेट्रियस ने किया। इसमें 190 ईसा पूर्व में भारत पर आक्रमण कर अफगानिस्तान, पंजाब एवं सिंध के बहुत बड़े भाग पर अधिकार कर लिया उसने शाकल को अपनी राजधानी बनाई उसे ही हिंद यूनानी या बैक्ट्रिया यूनानी कहा गया।


हिन्द यूनानी शासकों में सबसे अधिक विख्यात मिनांडर हुआ।

मिनांडर ने नागसेन (नागार्जुन) से बौद्ध धर्म की दीक्षा ली।

मिनांडर के प्रश्न एवं नागसेन द्वारा दिए गए उत्तर एक पुस्तक के रूप में संग्रहित है जिसका नाम मिलिंदपन्हो अर्थात मिलिंद के प्रश्न या मिलिंद प्रश्न है।

भारत में सबसे पहले हिंदी यूनानियों ने ही सोने के सिक्के जारी किए।


हिन्द-यूनानी शासकों ने भारत के पश्चिमोत्तर सीमा प्रांत में यूनान की प्राचीन कला चलाएं जिसे हेलेनिस्टिक आर्ट कहते हैं । भारत में गांधार कला इसका उत्तम उदाहरण है।

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