ईसाई धर्म और पारसी धर्म का इतिहास
ईसाई धर्म का इतिहास
ईसाई धर्म विश्व के प्रमुख धर्मों में से एक है, ईसाईयों में बहुत से समुदाय हैं;
जैसे- कैथोलिक, प्रोटैस्टैंट, ऑर्थोडॉक्स, मॉरोनी, एवनजीलक।
ईसाई धर्म के प्रवर्तक ईसा मसीह (जीसस क्राइस्ट) का जन्म रोमन साम्राज्य के गैलिली प्रान्त के नजरथ में हुआ था।
ईसाई धर्म से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य
(1) ईसाई धर्म के संस्थापक हैं- ईसा मसीह।
(2) ईसाई धर्म का प्रमुख ग्रंथ है- बाइबिल।
(3) ईसा मसीह का जन्म जेरूसलम के पास बैथलेहम में हुआ था।
(4) ईसा मसीह की माता का नाम मैरी और पिता का नाम जोसेफ था।
(5) ईसा मसीह ने अपने जीवन के 30 साल एक बढ़ई के रूप में बैथलेहम के पास नाजरेथ में बिताए।
(6) ईसाईयों में बहुत से समुदाय हैं मसलन कैथोलिक, प्रोटैस्टैंट, आर्थोडॉक्स, मॉरोनी, एवनजीलक।
(7) क्रिस्मस यानी 25 दिसंबर को ईसा मसीह के जन्मदिन के उपलक्ष में मनाया जाता है।
(8) ईसा मसीह के पहले दो शिष्य थे पीटर और एंड्रयू।
(9) ईसा मसीह को सूली पर रोमन गवर्नर पोंटियस ने चढ़ाया था।
(10) ईसा मसीह को 33 ई. में सूली पर चढ़ाया गया था।
(11) ईसाई धर्म का सबसे पवित्र चिन्ह क्रॉस है।
(12) ईसाई एकेश्वरवादी हैं, लेकिन वे ईश्वर को त्रीएक के रूप में समझते हैं- परम-पिता परमेश्वर, उनके पुत्र ईसा मसीह (यीशु मसीह) और पवित्र आत्मा।
पारसी धर्म का इतिहास
पारसी धर्म ईरान का प्राचीन काल से प्रचलित धर्म है। ये ज़न्द अवेस्ता नाम के धर्म ग्रंथ पर आधारित है। इसके प्रस्थापक महात्मा ज़रथुष्ट्र हैं, इसलिए इस धर्म को ज़रथुष्ट्री धर्म भी कहते हैं ।
फारस का यह प्राकृतिक धर्म कालांतर में धर्म श्रवण के रूप में स्वीकार किया गया. इस धर्म के संस्थापक जरथुस्त्र थे. यही श्रवौन धर्म बाद में पारसी धर्म बना. जरथुस्त्र का जन्म पश्चिमी ईरान के अज़रबैजान प्रांत में हुआ था. उनके पिता का नाम पोमशष्पा और माता का नाम दुरोधा था ।
ज़रथुष्ट्र धर्म की मान्यता
ज़रथुष्ट्र धर्म में दो शक्तियों की मान्यता है:-
स्पेंता मेन्यू, जो विकास और प्रगति की शक्ति है और
अंग्र मैन्यू, जो विघटन और विनाशकारी शक्ति है।
ज़रथुष्ट्र धर्मावलम्बी सात देवदूतों (यजत) की कल्पना करते हैं, जिनमें से प्रत्येक सूर्य, चंद्रमा, तारे, पृथ्वी, अग्नि तथा सृष्टि के अन्य तत्वों पर शासन करते हैं। इनकी स्तुति करके लोग अहुरमज्द को भी प्रसन्न कर सकते हैं।
धर्मग्रंथ
पारसियों का पवित्र धर्मग्रंथ 'जेंद अवेस्ता' है, जो ऋग्वैदिक संस्कृत की ही एक पुरातन शाखा अवेस्ता भाषा में लिखी गई है। ईरान के शासनी काल में जेंद अवेस्ता का पहलवी भाषा में अनुवाद किया गया, जिसे 'पंजंद' कहा जाता है। परन्तु इस ग्रंथ का सिर्फ़ पाँचवा भाग ही आज उपलब्ध है।
इस उपलब्ध ग्रंथ भाग को पांच भागों में बांटा गया है:-
यस्त्र (यज्ञ)- अनुष्ठानों एवं संस्कारों के मंत्रों का संग्रह,
विसपराद- राक्षसों एवं पिशाचों को दूर रखने के नियम,
यष्टि- पूजा-प्रार्थना,
खोरदा अवेस्ता- दैनिक प्रार्थना पुस्तक,
अमेश स्पेंता- यजत की स्तुति।
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