advertisement

Menu - Indian Law, Computer, Facts, Festival, Pauranik kathayen, Panchtantra kahaniyan,  Health care

Pauranik katha : Arjun ko kyu hua 12 saal ka vanvas | अर्जुन को अकेले ही 12 वर्ष का वनवास क्यों हुआ ?

क्यों जाना पड़ा था अर्जुन को अकेले ही 12 वर्ष वनवास 


arjun


Pauranik katha : Arjun ko kyu hua 12 saal ka vanvas | अर्जुन को अकेले ही 12 वर्ष का वनवास क्यों हुआ ?

महाभारत की कथा में आता है की अर्जुन को एक बार एक नियम तोड़ने के कारण अकेले ही 12 वर्ष वनवास जाना पड़ता है। आइए जानते हैआखिर क्या था वो नियम और क्यों तोडा था अर्जुन ने वो नियम?
अज्ञातवास के दौरान पांडवों का विवाह द्रोपदी से हो जाता है। अज्ञातवास समाप्त होने के बाद वो सब वापस इन्द्रप्रस्थ लौट आते हैं। इन्द्रप्रस्थ में राज्य पाकर धर्मराज युधिष्ठिर अपने भाइयों और द्रोपदी के साथ सुख पूर्वक रहने लगे। एक दिन की बात है जबसभी पाण्डव राज्यसभा में बैठेथे तभीनारद मुनि वहां पहुंचे।

पांडवो ने नारद मुनि का आदर सत्कार किया, वहां द्रोपदी भी आईऔर नारद मुनि का आर्शीवाद लेकर चली गई। द्रोपदी के जाने के पश्चात नारद ने पाण्डवों से कहा की पाण्डवों आप पांच भाइयों के बीच द्रोपदी मात्र एक पत्नी है, इसलिए तुम लोगों को ऐसा नियम बना लेना चाहिए ताकि आपस में कोई झगड़ा ना हो। क्योंकि एक स्त्री को लेकर भाइयों में झगडे मौत का कारण भी बन जाते है। ऐसा कहकर नारद मुनि उन्हें एक कथा सुनाई !

प्राचीन समय की बात है। सुन्द और उपसुन्द दो असुर भाई थे। दोनों के बारे में ऐसा कहा जाता है दोनों दो जिस्म एक जान हैं। उन्होंने त्रिलोक जीतने की इच्छा से विधिपूर्वक दीक्षा ग्रहण करके तपस्या प्रारंभ की। कठोर तप के बाद ब्रह्माजी प्रकट हुए। दोनों भाईयों ने अमर होने का वर मांगा। तब ब्रह्मा ने कहा वह अधिकार तो सिर्फ देवताओं को है। तुम कुछ और मांग लो।

तब दोनों ने कहा कि हम दोनों को ऐसा वर दें कि हम सिर्फ एक- दुसरे के द्वारा मारे जाने पर ही मरें। ब्रह्रा जी ने दोनों को वरदान दे दिया। दोनों भाईयों ने वरदान पाने के बाद तीनों लोको में कोहराम मचा दिया। सभी देवता परेशान होकर ब्रह्मा की शरण में गए। तब ब्रह्माजी ने विश्वकर्मा से एक ऐसी सुन्दर स्त्री बनाने के लिए कहा जिसे देखकर हर प्राणी मोहित हो जाए। उसके बाद एक दिन दोनों भाई एक पर्वत पर आमोद-प्रमोद कर रहे थे। तभी वहां तिलोतमा (विश्वकर्मा की सुन्दर रचना) कनेर के फूल तोडऩे लगी। दोनों भाई उस पर मोहित हो गए। दोनों में उसके कारण युद्ध हुआ। सुन्द और उपसुन्द दोनों मारे गए।

तब कहानी सुनाने के बाद नारद बोले:
इसलिए मैं आप लोगों से यह बात कह रहा हूं। तब पाण्डवों ने उनकी प्रेरणा से यह प्रतिज्ञा की एक नियमित समय तक हर भाई द्रोपदी के पास रहेगा। एकान्त में यदि कोई एक भाई दूसरे भाई को देख लेगा तो उसे बारह वर्ष के लिए वनवास होगा। पाण्डव द्रोपदी के पास नियमानुसार रहते।

एक दिन की बात है लुटेरो ने किसी ब्राह्मण की गाय लुट ली और उन्हे लेकर भागने लगे।ब्राह्मण पाण्डवों के पास आया और अपना करूण रूदन करने लगा। ब्राह्मण ने कहा कि पाण्डव तुम्हारे राज्य में मेरी गाय छीन ली गई है। अगर तुम अपनी प्रजा की रक्षा का प्रबंध नहीं कर सकते तो तुम नि:संदेह पापी हो। लेकिन पांडवो के सामने अड़चन यह थी कि जिस कमरे में राजा युधिष्ठिर द्रोपदी के साथ बैठे हुए थे। उसी कमरे में उनके अस्त्र-शस्त्र थे।

एक ओर कौटुम्बिक नियम और दुसरी तरफ ब्राह्मणकी करूण पुकार। तब अर्जुन ने प्रण किया की मुझे इस ब्राह्मणकी रक्षा करनी है चाहे फिर मुझे इसका प्रायश्चित क्यों ना करना पड़े?

उसके बाद अर्जुन राजा युधिष्ठिर के घर में नि:संकोच चले गए। राजा से अनुमति लेकर धनुष उठाया और आकर ब्राह्मण से बोले ब्राह्मण देवता थोड़ी देर रूकिए में अभी आपकी गायों को आपको लौटा देता हूं। अर्जुन ने बाणों की बौछार से लुटेरों को मारकर गाय ब्राह्मण को सौंप दी।

उसके बाद अर्जुन ने आकर युधिष्ठिर से कहा। मैंने एकांत ग्रह में अकार अपनी प्रतिज्ञा तोड़ दी इसलिए मुझे वनवास पर जाने की आज्ञा दें। युधिष्ठिर ने कहा तुम मुझ से छोटे हो और छोटे भाई यदि अपनी स्त्री के साथ एकांत में बैठा हो तो बड़े भाई के द्वारा उनका एकांत भंग करना अपराध है।

लेकिन जब छोटा भाई यदि बड़े भाई का एकांत भंग करे तो वह क्षमा का पात्र है। अर्जुन ने कहा आप ही कहते हैं धर्म पालन में बहानेबाजी नहीं करनी चाहिए। उसके बाद अर्जुन ने वनवास की दीक्षा ली और वनवास को चल पड़े।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ